भारत की पहली मुस्लिम महिला अध्यापिका फातिमा शेख की 9 जनवरी 191वीं जयंती पर गूगल ने डूडल तैयार कर उनके प्रति किया सम्मान व्यक्त.

फातिमा शेख ने महिलाओ के शिक्षा के लिये जो योगदान दिया है उसे देश कभी नही भुला सकता
पुणे प्रतिनिधी अन्वरअली

पुणे 9 जानेवारी
आज यानी 9 जनवरी को गूगल ने एक खास गूगल डूडल तैयार किया है. गूगल के डूडल में नजर आने वाली महिला भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका है और उनकी 191वीं जयंती है. गूगल ने उनके प्रति अपना सम्मान दिखाने के लिए ये बेहतरीन गूगल डूडल तैयार किया है. फातिमा शेख ने समाज सुधारक महत्मा ज्योति बा फुले और माता सावित्री जी बाई फुले के साथ मिलकर 1848 में एक स्वदेशी पुस्तकालय की शुरुआत की थी. यह देश का पहला लड़कियों का स्कूल भी माना जाता है.

फातिमा शेख का जन्म आज ही के दिन यानी 9 जनवरी 1831 के दौरान पुणे में हुआ था. वह अपने भाई उस्मान जी शेख के साथ रहा करती थीं. जब फुले दंपती को कमजोर तबको व गरीबों को शिक्षा देने के विरोध में उनके पिता ने घर से निकाल दिया था, तब उस्मान जी शेख और माता फातिमा जी शेख ने उन्हें अपने घर में पनाह दी थी.

फातिमा शेख ने की एक ऐतहासिक अहम शुरुआत

इसके बाद स्वदेशी पुस्तकालय की स्थापना इन्हें के घर से हुई है. इसके बाद माता फातिमा जी शेख और फुले दंपती ने समाज के गरीब लोगों व मुस्लिम महिलाओं को शिक्षि देने का एक ऐतिहसिक जुझार कार्य शुरू किया था. जिस मे माता फातिमा जी शेख और उस्मान जी शेख का भी बहुत ऐहम योगदान दिया है .

फातिमा जी शेख घर घर से बुलाती थी बच्चें
फातिमा शेख बच्चों को अपने घर में पढ़ने के लिए घर-घर से बुलाकर लाया करती थीं. ऐसा करने से फातिमा शेक और फुले दंपति हमेशा के लिए भारतीय इतिहास में अमर हो गए. बताते चलें कि गूगल ऐसे लोगों के लिए अक्सर डूडल तैयार करता रहता है और उनके प्रति अपना सम्मान जाहिर करता रहता है.

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि भारत सरकार ने 2014 में फातिमा शेख की उपलब्धियों को याद किया और अन्य अग्रणी शिक्षकों के साथ उर्दू पाठ्यपुस्तकों में उनके प्रोफाइल को जगह दी, ताकि आगे आनेवाली पीढ़ी उनके प्रयासों और देश व समाज को दिये उनके योगदान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सकें.

लेकीन आज एक सच ये भी है
आज माता फातिमा जी शेख का जन्मदिन है जिसे मुस्लिम समाज ने भुला दिया ये पहली मुस्लिम महिला थी जिन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए सभी को प्रेरित किया और अपना पुरा जीवन स्त्री शिक्षा के लिये समर्पित कर दिया.

उन्ही के घर मे लड़कियों का पहला स्कूल खुला और लड़कियों को पढ़ाने का काम शुरू किया था और माता सावित्रीबाई फुले का साथ दिया था । सामाजिक विरोध के बावजूद स्त्री शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने का महान कार्य करने वाली माता फातिमा जी शेख और माता सावित्री जी बाई फुले को नमन, सलाम,

अन्वरअली शेख

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